Ritual Games
खेल
खेल के लिए "क्रीड़ा", "प्ले", "स्पोर्ट्स" या फिर "गेम" शब्द का प्रचलन वर्तमान समय में है । खेल एक ऐसी विधा है जिनसे कोई भी मानव समाज या राष्ट्र अछूता नहीं हैं, क्योंकि किसी भी राष्ट्र या अंचल में मनोरंजन का प्रमुख व सशक्त साधन कोई है तो वह है 'खेल'। प्रत्येक मौसम में हर एक पल अनेकों खेल सहज ही मनोरंजन हेतु उपलब्ध हो जाते हैं । मनोरंजन की अनुभूति हेतु विशेष आडम्बर या पूर्व तैयारी की आवश्यकता नहीं होती। खेल किसी भी समुदाय या पृष्ठभूमि पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा मनोरंजन हेतु किया गया व्यवहार मात्र है। खेल केवल मानव समाज में ही नहीं, अपितु पशु पक्षियों और छोटे जीव जन्तुओं में भी प्रचलित है, जैसे कबूतरों की उड़ान ,कुत्तों का गात खेलना, नर मादा के मध्य प्रणय लीला के अवसर में .....।
मनव के लिए खेल उतना ही महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य है जितना भोजन और शिक्षा, जो मानव जितना अधिक खेलता है उनका शारीरिक व मानसिक विकास उतना ही अधिक होता है। जीवन में परिस्थिति के अनुकूल संघर्ष करने की प्रवृति, स्फूर्ति, लक्ष्य प्राप्ति हेतु इच्छाओं में दृढ़ता व असफलता को सहज ही स्वीकार कर लेने की क्षमता बढ़ जाती है। कहा जाय तो शारीरिक व मानसिक विकास के लिए खेल एक तरह की औषधि है। खेल से मनुष्य की व्यायाम, योग व कसरत की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है। किसी भी राष्ट्र या अंचल में अनेक प्रकार के खेल प्रचलित है, जो गांव की किसी चैपाल से लेकर अन्तराष्ट्रीय स्तर तक विद्यमान है। "क्रीड़ा" या "स्पोर्ट्स" की संज्ञा से सम्बोधित होने वाले उक्त खेलों के दो रूप् मानव समाज मे प्रचलित है-
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