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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

छू-छुवउल की प्रक्रिया से संबंधित सामूहिक लोक खेल

 ग्रामीण जीवन में प्रचलित अधिकाधिक लोक खेलों का स्वरुप सामूहिक है । इनमे भी अधिकांश ऐसे हैं जिनमे लड़के व लड़कियां साथ-साथ खेला करते हैं। बच्चों के सम्मिलित रूप में विकसित लोक खेलों में सामग्री की प्रधानता हो, चाहे गीतयुक्त हो,छू लेने की प्रक्रिया प्रायः मिल ही जाती हैं। कुछ एक खेल मात्र छू लेने की प्रक्रिया वाले हैं तो कुछ एक खेलों में उक्त प्रक्रिया के लक्षण विद्यमान हैं ।किसी खिलाड़ी को दौड़ा कर छूना कष्टप्रद होता है। कष्टप्रद स्थिति ही खेलों के लिए अहम स्थान है। खिलाडी इस स्थिति से साफ़ बचना चाहते हैं। बचने का प्रयास ही उन्हें आनंदित करता है । उक्त आनंद ही दाम और खेल का निचोड़ है।छू लेने की प्रक्रिया से संबंधित प्रत्येक सामूहिक खेलों में एक समानता अनिवार्य रूप से होती है,वह है फत्ता का प्रचलन । एक हत्थी,संखली या अंगरी तीनो में से कोई भी एक फत्ता का उपयोग किया जाता है। फत्ता में कोई भी खिलाड़ी असफल होता है। असफल खिलाड़ी दाम देता है।यदि एक खिलाड़ी द्वारा दाम लेने से संबंधित हो तो भी फत्ता किया जाता है। छू-छूवउल का खेल पेड़ ,जल व थल में मिलता है जिसका वर्णन पूर्व में दिया गया है। छू लेने की प्रक्रिया वाले उस खेल से ही अनेक खेलों का प्रचलन हुआ है। जिसे छू-छूवउल की प्रक्रिया से सम्बंधित सामूहिक लोक खेल कहते हैं

जो निम्नलिखित है -
१. नदी पहार, २. संखली , ३. टेकन, ४. आंधी-चपाटी, ५. परी-पखरा, ६. बघुवा ७. घाम -छाँव, ८. कोयल, ९. सोना चांदी, १०. बीरो, ११. आती-पाती, 12 संडउवा

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