नवा सुम्मत समिति कांदुल सक्रिय संस्था के रूप मे अंचल मे जानी जाती है क्योकि इसी संस्था ने ग्राम तहसील से निकलकर जिला एंव प्रदेश मे मार्ग विस्तार किया। अनेक सहयोगी संस्थओं का निर्माण एंव मार्गदर्शन किया जिसमे 2004 मे स्थापित "छत्तीसगढ़ प्रदेश लोक खेल एसोसिएशन" तथा 2010 से संचालित "अखिल भारतीय लोक खेल महासंघ" महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश लोक खेल एसोसिएशन के तत्वावधान में अब प्रतिवर्ष राजधानी रायपुर मे प्रदेश स्तरीय आयोजन होता है।
चंद्रशेखर चकोर के मार्ग निर्देशन एवं व्यवस्थापन मे खिलाड़ी भावना से प्रतियोगिता संपन्न होती है जिसमे मुख्य महत्वपूर्ण गिल्ली डंडा, पुधव पूक, भिर्री, पिट्टूल, गेंगे, गेड़ी दौड़, गोटा, बिल्लस, संखली, फुगड़ी, तुवे लंगरची प्रतियोगिता रोमांचक एवं आकर्षण के केंद्र होते हैं।
पुधव पूक एवं गेंगे लोक खेल चंद्रशेखर चकोर का मौलिक एवं लोक प्रिय सृजन हैं । बहुमुखी प्रतिभा संपन्न चकोर मे खेलों के साथ अभिनय एवं साहित्य सृजन की रचनात्मक सहभागिता है। रंगमंच के कलाकार चंद्रशेखर चकोर ने छत्तीसगढ़ी फिल्म "गुरांवट" मे नायक के रूप में तथा लोक नाट्य 'टेकहाराजा' मे मुख्य कलाकार का अभिनय किया है। वहीं छत्तीसगढ़ी भाषा की एक मात्र चैमासा पत्रिका बरछाबारी के सम्पादक एवं डहरचला उनकी उपलब्धियां हैं।
लोक खेलों के संरक्षण एवं सवर्धन के लिए समर्पित चंद्रशेखर को विभिन्न आयोजनो में इन मित्रों का सतत सहयोग मिलता है सर्व श्री मितलेश निषाद, घनश्याम प्रसाद वर्मा, परमेश्वर कोसे, शिव चंन्द्राकर, चंद्रशेखर व्यास, चितेस साहू, संगीता बंछोर, रोहित वर्मा, छबिराम साहू, राजेश रजक, भेवसिंग दीवान, बुधराम नेताम, विनोद पाण्डे, रामचरण यादव। धर्म पत्नि श्री मति पुष्पलता की प्रेरणा एवं सहयोग तो साथ ही है। खेल एवं संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन, नेहरू युवा केंद्र रायपुर का व्यवस्थापन सहयोग एवं प्रोत्साहन मिलता है। आत्मविश्वाश एंव संकल्प का यही सोपान अखिल भारतीय स्तर पर लोक खेलों का समायोजन एंव व्यवस्थापन होगा, जिससे कि स्तरीय प्रस्तुति एंव सांस्कृतिक धरोहर को सभी जाने एंव महसूस करें, आत्म विभोर हो भारतीयता का अवगाहन करें।