लोक खेलों में आधिकाधिक खेलों का स्वरुप सामूहिक है। सामूहिक लोक खेलों के स्वरुप में भिन्नता है। जैसे सामग्री प्रधान,पूक से सम्बंधित या छू लेने की प्रक्रिया वाले।
चूँकि भिन्नता है तो ऐसे भी खेल मिल जाते हैं जिनमे खिलाड़ियों की संख्या कम या आधिक नहीं हो सकती।
उनमें खिलाड़ियों की संख्या निश्चित रहती है।ऐसे लोक खेलों में है :-
1.कोंटूल
2.फल्ली
3.तरोईफूल
4.खम्भा
5.चोर -सिपाही
6..हुर्रा-बाघ
7.पच्चीसा
8.चौसर