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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

पानी से संबंधित लोक खेल

लोक खेलों का क्षेत्र असीमित है घर की चार दीवार से गाँव के विशाल मैदानी भागों तक ही इनका अस्तित्व है ये कहना अनुचित ही होगा । मानव का जहाँ भी हस्तक्षेप रहा वहीँ पर मनोरंजन के साधनों की तलाश की। कुछ एक साधन ऐसे भी थे जो अनजाने में मानव के साथ हो गये । मनोरंजन का उद्देश्य है मन की तृप्ति। स्थान घर हो,गाँव हो,खेत हो,खलिहान हो,चाहे दिन या रात हो,मानव अपना मनोरंजन करता है। इसी क्रम में जल भी एक खेल का साधन बन गया ।

हिन्दु धर्म में प्रतिदिन स्नान करना अनिवार्य माना गया है। यही कारण है कि पानी से संबंधित लोक खेल प्रत्येक मौसम, प्रचलन में होता है। यदि तलाब में पानी की मात्रा अत्यधिक होती है तो इसके खेलों का आनन्द भी दुगुना हो जाता है। सर्वाधिक लोक खेल बच्चों के अधीन है। पानी से संबंधित खेल भी बच्चों में लोकप्रिय हैं।

 

लोक खेलों में पानी से संबंधित लोक खेलों का स्थान विशिष्ट है। विशिष्ट इसलिए नहीं की खेल थल के बजाय जल में होता है। विशिष्ट इसलिए है कि शारीरिक व मानसिक विकास हेतु जल में किया जाने वाला अधिकतम व्यायाम खेल के तहत होता है। ग्रामीण बच्चे,किसी अन्य लाभ को केन्द्रित न कर मनोरंजन के रूप में ही व्यायाम का लाभ उठाते हैं। ग्रामीण जीवन में प्रत्येक व्यक्ति ऐसे व्यायाम से अज्ञानता वश गुजरता है ऐसे व्यक्ति न के बराबर होंगे जिसे अछूता कहा जाय।

पानी से संबंधित लोक खेलों को दो वर्गों में रखा जा सकता है जो निम्नांकित हैं -
१. पानी के अन्दर विकसित लोक खेल
२.पानी के बाह्य भागीय लोक खेल

पानी के अन्दर विकसित लोक खेल
पानी से संबंधित पानी के अन्दर विकसित लोक खेलों में प्रतिभागी थल को स्पर्श नहीं करता। सम्पूर्ण खेलों का प्रारंभ और अंत पानी में ही होता है।ऐसे खेलों में सामग्री का प्रचलन नहीं है।

१.चित्ता-तउर,२.पनबुड़ी, 3.छितउल , ४.कुकरा-कुकरी,५ छू-छुवउल

पानी के बाह्य भागीय लोक खेल
पानी से संबंधित पानी के बाह्य भागीय लोक खेलों में,खिलाड़ियों को थल से भी संपर्क होता है । इस वर्ग में खेल का आधा हिस्सा जल में तो आधा थल में संपन्न होता है।ऐसे खेलों के नाम - १.कूद,२.खपरैल 

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