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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

दलीय लोक खेल

बच्चे झुण्ड के झुण्ड चलते हुए, दौड़ते हुए या बैठे हुए, मनोरंजन के लिए जो व्यवहार किया वही खेल बन गया । समूह के बच्चे, जब दो वर्ग में बंट कर खेलने लगे तो वहां पर दलीय लोक खेल की परम्परा विकसित हो गयी । लोक खेलों का उदभव मात्र मनोरंजन के लिए हुआ है । पुरस्कार या उपलब्धि के लिए नहीं । फलतः ऐसे लोक खेलों का प्रचलन कम ही हुआ जिनमें स्पर्धा की भावना जागृत होती हो । स्पर्धा या प्रतियोगिता के लिए मन को उद्वेलित करने का लक्षण दलगत खेलों में सर्वाधिक होता है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में दलीय लोक खेलों का प्रचलन अपेक्षाकृत कम हुआ है

जो उल्लेखित है -

१. पताड़ी-मार, २. रस्सी खींच, ३. भिर्री, ४. अल्लग-कूद, ५.कूचि, ६. पिट्टूल, ७. घेरा-बांटी, ८. गिल्ली- डंडा । 

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