• Followers
Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

ध्वनि से संबंधित लोक खेल

जन्मोपरान्त शिशु जब ऑंखें खोलता है तो प्रथम दर्शन के रूप में पृथ्वी,आकाश, मानव और पर्यावरण होता है। मानव एवं पर्यावरण के माध्यम से शिशु नये जगत से साक्षात्कार करने लगता है। धीरे-धीरे अनुभव करने की क्षमता में वृद्धि होने लगती है। देखकर किसी मानव या वस्तु को पहचानने के साथ ही ध्वनि के माध्यम अदृश्य अस्तित्व को जानने-समझने लगता है और यहीं से जागृत होती है मनोरंजन की इच्छाएं व अपेक्षाएं। ध्वनि ही खेल स्वरूप् प्रारम्भिक तौर पर आकर्षित करती है इसलिए मां भी आंख मटकाने के साथ पुचकारती है। विभिन्न तरह की आवाज निकालती है । शिशुओं को ध्वनि अधिक प्रभावित करती है इसलिए बाजार में अधिकतम खिलौने ध्वनियुक्त होते हैं ।

 

पशु-पक्षियों की बोली भी शिशुओं को आनंदित करती है।शिशुओं के बढ़ने के साथ ध्वनि से संबंधित अस्तित्व को जानने-समझने का क्षेत्र भी बढ़ने लगता है। इस बात को पृथक नहीं किया जा सकता है कि ध्वनि उत्पन्न करने वाले सम्पूर्ण वाद्य व लोक संगीत का उद्येश्य ही मनोरंजन है। मनोरंजन हेतु मानव की अपेक्षाएं उन्हें विभिन्न दिशाओं में लेती गयीं। जोड़ती गयीं और लोक संस्कृति में ध्वनि से संबंधित निम्नांकित लोक-खेलों का प्रचलन हो गया ।
ध्वनि से संबंधित प्रमुख लोक खेल इस प्रकार है:-

1. चरखी 2. तुतरू 3. कुकरा-कुकरी 4. फोदा 

>>> Back <<<