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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

तारा से संबंधित लोक खेल

  पारंपरिक खेलों की सम्पन्नता और विकसित स्वरूप की संपूर्ण दर्शन सम्भव नहीं किन्तु तारा से संबंधित लोक खेलों से अनुमान होता है कि मनोरंजन की आवश्यकता इतनी अधिक थी कि पूर्वजों ने तारा को भी खेलों का आधार बना दिया। तारे भले ही गगन में होते हैं और रात्रि में दिखाई पड़ते है किन्तु लोक खेलों के रूप में प्रत्येक क्षण लोक जीवन में होते हैं। ये स्पष्ट नहीं कि तारा का चित्रांकन चित्रकारों ने कब से किस तरह किया । लोक खेलों की परंपरा को देखते हुए ज्ञात होता है कि तारा का चित्रांकन हजारों वर्ष पूर्व हो चुका है। जो लोक खेल के रूप में इस तरह से हैं । चित्रानुसार तारा में पांच कोन तथा पांच मिलन बिन्दु होते हैं । दोनों मिलकर दस घर होते हैं। उक्त घर ही खेल में उपयोग किये जाते हैं। उत्थान और पतन प्रकृति का नियम है

वर्तमान समय में तारा से संबंधित दो लोक खेलों की परंपरा मिलती है:-

1. तिग्गा

2. बग्गा
उक्त दोनों तरह की लोक खेलों में सामग्री की प्रधानता है। दुच्छ लोक खेलों की श्रृंखला में आने वाले दोनों खेल किसी भी मौसम से संबंधित नहीं हैं। यह बच्चों की अपेक्षा युवा या उससे भी सजोर वर्ग में अत्याधिक प्रचलित हैं। 'तिग्गा' और 'बग्गा' दोनों ही खेल नाम से एक लय में हैं किन्तु स्वरूप व खेलने की प्रक्रिया में समानता नहीं है। दोनों ही एकल लोक खेल हैं फिर भी खेलने की प्रक्रिया भिन्न-भिन्न।

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