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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

अन्य सामूहिक लोक खेल

  छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति में, सामूहिक लोक खेलों की परम्परा सर्वाधिक विकसित हुई है। सर्वाधिक सामूहिक लोक खेलों के उदभव एवं विकास के पीछे बच्चों के बीच झुण्ड में रहने की प्रवृत्ति हो सकती है। बच्चे अकेले की अपेक्षा समूह में अधिक रूचि लेते हैं, इसलिए एकल लोक खेल भी सामूहिक लोक खेलों के सदृश्य बन जाते हैं। सामूहिक लोक खेलों को दो वर्गो में रखा गया है - पहला वह खेल जिनमे छू लेने की प्रक्रिया होती है और दुसरे वर्ग में उन खेलों को रखा गया है जिनमे सामग्री का प्रचलन नहीं है। कुछ ऐसे भी सामूहिक लोक खेलों की परम्परा इस भू- भाग में विकसित हुई है जो सामग्रीविहीन तथा छू लेने की प्रक्रिया वाले खेलों से भिन्न है

जैसे-
१. सगा-पहुना, २. पोनी-लुकउल, ३. धाय गोंड़, ४. पखरा तूक

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