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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

पतंग

लोक खेलों की समृद्ध परंपरा में ' पतंग' का स्थान विशिष्ट है I इसलिए नहीं की यह हवा के साथ आकाश में उड़ती है बल्कि इसलिए की पतंग अंतर्राष्ट्रीय लोक खेलों में से एक है I पतंग के सम्बन्ध में कोई विशेष लिखित जानकारी उपलब्ध नहीं है I संभवतः पतंगा से ही इसका नाम पतंग पड़ा है I

भारत देश के विभिन्न प्रान्तों में पतंग की परंपरा है किन्तु उड़ने का मौसम सामान नहीं है I गाँवों में पतंग नहीं उड़ाई जाती है I इसका प्रचलन शहरों में मिलता है I छत्तीसगढ़ प्रदेश में इसका प्रचलन अधिकाधिक रायपुर में मिलता है I इस प्रदेश में पतंग उड़ने का समय है अप्रैल माह से अक्टूबर तक

 

पतंग साधारणतः युवा वर्ग ही उड़ाते है I अप्रैल - मई में स्कुल व कालेजों की परीक्षा समाप्त होते ही पतंग उड़ाना प्रारंभ कर देते हैं I ग्रीष्म ऋतु से प्रारंभ पतन पर्व का समापन , वर्षा ऋतु पश्चात् दशहरा के दिन होता है I दशहरा के दिन जिन स्थानों पर रावण का पुतला जलाया जाता है उन स्थानों पर मेला भरता है I पतंग प्रेमी भी इसी दिन जी भर कर , उक्त स्थान पर पतंग उड़ाते हैं I वैसे तो दशहरा से पतंग का कोई सम्बन्ध हो ऐसा तथ्य नहीं मिलता फिर भी इस दिन के बाद पतंग का उड़ाना पूर्णरूप से बंद हो जाता है I गुजरात प्रदेश में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है I

पतंग उड़ाने की शुरुआत कोई विशिष्ट व्यक्ति द्वारा या फिर तामझाम से नहीं होती I स्कुल व कालेजों की परीक्षा समाप्त होते ही, विद्यार्थी बच्चे मनोरंजन के अनेको साधनों में लिप्त हो जाते है I इसी क्रम में पतंग प्रेमी पतंग उड़ाने का शुभारम्भ कर देते हैं I कोई - कोई पतंग स्वयं बना लेते हैं तो कोई प्रेमी बीते वर्ष की पतंग सम्हाल कर रखते हैं I शहर में पतंग की दुकाने भी खुल जाती हैं जहाँ उसे सब कुछ बना - बनाया मिल जाता है I 

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