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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

भौंरा से संबंधित लोक खेल

 भारतीय लोक खेलों की परम्परा में भौंरा का स्थान विशिष्ट है। इसे सरगुजा क्षेत्र में 'लट्टू' के नाम से और रायपुर के आसपास 'भुन्नाटी' के नाम से भी जाना जाता है। फूलों पर मंडराने वाले भौंरों की गुंजन से पारम्परिक खेल 'भौंरा' का नामकरण हुआ है। भौंरा जब भूमि पर एक ही स्थान में अपनी धुरी पर तीव्र गति से घूमता है तब फूलों पर मंडराने वाले 'भ्रमर' जैसी मन मोह लेने वाली ध्वनि उत्पन्न करता है । इसी समय भौंरा की गति इतनी अधिक होती है कि वह अपनी धुरी पर संतुलित हो जाता है और जब धीरे-धीरे दायें-बायें झूलता है तो आभास होता है मानों किसी फूल पर भ्रमर बैठा हो। छत्तीसगढ़ प्रदेश के ग्रामीण जन-जीवन में भौंरा से संबंधित सुंदर गीतों का प्रचलन मिलता है। गीत के कारण इस पुरूष प्रधान खेल का लोक साहित्य में विशिष्ट स्थान बन गया है। भौंरा का गीत, भौंरा से निकलने वाली ध्वनि पर केंद्रित है जो गाने और सुनने दोनों में ही आकर्षक है ।

गीत...
लावर म लोर-लोर, तिखुर म झोर-झोर
राय झुम-झुम बास पान, हंसा करेला पान
सुपली म बेलपान, लट्ठर जा रे भौंरा
भुन्नर जा रे

भौंरा का निर्माण लकड़ी से होता है जिसके निचले हिस्से में कील लगी होती है । कील को 'आरी' कहा जाता है जो चित्र में स्पष्ट है । सामग्री के दृष्टिकोण से भौंरा के अतिरिक्त एक रस्सी होती है। उक्त रस्सी को 'नेती' कहा जाता है। भौंरा चलाने के लिए सूती कपड़े का बनाया हुआ नेती अधिक उपयुक्त होती है। भौंरा का आकार खिलाड़ियों के इच्छा पर निर्भर करता है और आरी की लम्बाई व मोटाई भौंरा के आकार पर । उक्त दोनों पर निर्भर होती है नेती की लम्बाई व मोटाई। पेड़ से उपयुक्त लकड़ी का चुनाव करके धारदार हथियार से काटना और भौंरा का स्वरूप प्रदान करना हर एक व्यक्ति के लिए संभव नहीं । खासकर इनके खिलाड़ियों के लिए संभव है ही नहीं। भौंरा बनाने का कार्य बढ़ई करता है। इसके बाद भी यह लोकप्रिय है। वर्तमान समय में बाजार में भौंरा उपलब्ध हो जाता है। इस खेल में सशक्त प्रदर्शन हेतु खिलाड़ियों को चाहिए कि वह शीघ्र अतिशीघ्र भौंरा पर नेती 'नेत' (लपेट) सकें। एक निश्चित स्थान पर हर बार चला सके और प्रतिद्वंदी के भौंरा को मार सके। भौंरा चलाना एक कला है और इसमें निपुण होना खिलाड़ियों की योग्यता है। भौंरा तीरछी या सीधी नहीं चलाना चाहिए। भौंरा को खड़ा चलाने से ही उचित रहता है। छत्तीसगढ़ में भौंरा के खिलाड़ी तीन तरह से आनंद उठाते हैं। भौंरा के तीन स्वरूप प्रचलित हैं ।
1.चांदा 2. नौगोदिया 3. रट्ठ

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