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Ritual Games

खेल की सम्पूर्ण जानकारी

गोटी से संबंधित लोक खेल

 अतीतकाल में मानव ने उसे भी खेल का स्वरूप दे दिया जो उन्हें अपने आसपास दिखाई पड़ा। खेल के लिए किसी भी सामग्री को किसी भी स्तर से तौला नहीं है। मनोरंजन की प्रधानता को ध्यान में रखते हुए जो भी सामग्री उपयुक्त लगी सहज ही स्वीकारते गये । जहां उन्होने चूड़ी के टुकड़े, खप्पर के टुकड़े व गोटा से संबंधित खेलों की परंपरा हमें दी है वहीं गोटी से संबंधित खेलों का प्रचलन भी दिया गया है। गोटी अर्थात गोटा से बहुत ही छोटा टुकड़ा। गोटी से संबंधित लोक खेलों हेतु मैदान की आवश्यकता नहीं होती। इसके अन्तर्गत आने वाली सभी खेल दुच्छ लोक खेलों की श्रेणी में आती हैं जिसे घर के अंदर या छोटे से चबूतरे में खेला जाता है।एकल लोक खेलों की परंपरा वाले इन खेलों में सामग्री के नाम पर मात्र गोटी होती है । जिनकी संख्या भी सुनिश्चित होती है। एक गोटी की अधिकता या कमी से खेल पूर्ण नहीं होता। गोटी के इन खेलों में भागने या कूदने की प्रक्रिया नहीं होती संपूर्ण खेल में मात्र एक हाथ का ही उपयोग होता है। इन खेलों को बौद्धिक वर्गो का खेल कहा जा सकता है क्योंकि इनमें मस्तिष्क का प्रबल होना अनिवार्य होता है।

गोटी से संबंधित अनेक लोक खेलों का अस्तित्व प्रचलन में हैं जिन्हें दो वर्गो में रखा जा सकता है।

1. गोटी से संबंधित मारने की प्रक्रिया से परिपूर्ण लोक खेल ।
2. गोटी से संबंधित विविधता पूर्ण प्रक्रिया वाले लोक खेल ।

उक्त दोनो वर्गो में गोटी की उपस्थिति को समानता कहा जाय तो अन्य पक्षों में असमानता बहुतायत है। जिसका वर्णन क्रमश: किया जा रहा है ।

गोटी से संबंधित मारने की प्रक्रिया से परिपूर्ण लोकखेल
सीधा, आड़ा या तिरछा एक क्रम में तीन घर। प्रथम व द्वितीय घर में गोटी तथा तीसरा घर खाली है तो प्रथम घर की गोटी को एक घर लांघकर अर्थात तीसरे घर में रखना ही दूसरे घर की गोटी को मारना है । लांघने की प्रक्रिया एक घर की होती है। वह भी तीसरा घर खाली हो तो। उक्त नियमावली खेलों को ही गोटी से संबंधित मारने की प्रक्रिया से परिपूर्ण लोक खेल कहते हैं जो परंपरा में निम्नलिखित हैं:-

1. नौगोटियां 2. सोलह या अट्ठारह गोटियां 3. गोटीमार

दुच्छ एवं एकल लोक खेलों की श्रृंखला वाली इन खेलों में खिलाड़ियों की संख्या समान होती है। किन्तु गोटी की संख्या में समानता नहीं होती । जहां इन खेलों के खिलाड़ियों की मानसिकता समान होती है वहीं खेल के ग्राफ समान नहीं होते। खिलाड़ियों का उदेश्य होता है अपनी श्रेष्ठ चाल चलकर सामने वाले की गोटी मारना। गोटी से संबंधित इस वर्ग के खेल बच्चों के बजाय युवाओं व बुजुर्गो में अत्याधिक प्रचलित है कहा जाय तो यह बच्चों का खेल नहीं है।

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